आध्यात्मिक चिंतक अनुराज जी वृंदावन के अपने आश्रम में हर महिने के आखिरी सप्ताह में एवं बाकी दिनों में दिल्ली में मिलते हैं। अपनी किसी भी समस्या के परामर्श एवं समाधान के लिए आप निःसंकोच सम्पर्क कर सकते हैं। हमारा वृंदावन आश्रम का पता है:- चेतना द्वार, प्लाट नं.-3, सुनरख रोड, नियर छः शिखर मन्दिर, प्रेम मन्दिर के पीछे, वृंदावन, उ.प्र.। मो. नं. +91-9911326667, +91-9911327666 हमारा दिल्ली का पता है - चेतना द्वार, ए-16, मानसरोवर पार्क, जी.टी. रोड, शाहदरा, दिल्ली-110032। मो. नं. +91-9911326667, +91-9911327666

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हमारी इस आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक संस्था का नाम है- नव चेतना चेरिटेबल एंड रीलिजीयस ट्रस्ट। नव चेतना ट्रस्ट उन सभी लोगों को आमंत्रित करता है, जो मानसिक विकास की यात्रा में सहभागी होना चाहते हैं। नव चेतना ट्रस्ट के माध्यम से मानव की उस चेतना को जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है जो रूढ़िवादी प्राचीनतम परम्पराओं को उनकी उसी अवस्था में सहेजकर यात्रा कर रहे हैं। हमारा उददेष्य किसी की आस्था को खण्डित करना नही हैं, आस्था के धरातल को सिर्फ साफ करने का प्रयास है। ज्ञान मार्ग एवं भक्ति मार्ग, दोनों ही मार्गो से प्रभु की प्राप्ती की जा सकती है। पथ दोनो ही हैं। चलना तो पड़ेगा ही। चुनाव आपका है। भक्ति मार्ग से चलना है, अथवा ज्ञान मार्ग से। प्राप्ती दोनो ही मार्ग से प्रभु की सहज उपलब्ध है। बस, हमें ही सहज होना है। हम दोनों में से किसी भी पथ पर चलने के लिए मना नहीं कर रहे। हम तो पथ पर केवल जमी हुई धूल पर बुहारी लगाने का काम कर रहे हैं। और चाहते हैं, आप भी सभी इस आध्यात्मिक अभियान में हमारे साथ जुड़ें। हमारा मानना है जब तक मानसिक विकास नही होगा, तब तक आध्यात्मिक विकास नहीं होगा। और जब तक आध्यात्मिक विकास नही होगा, प्रभु की भक्ति में खुषबू का आनन्द नहीं आ सकता। क्योंकि ज्ञानमय भक्ति, मन्दिर में खुषबू की तरह होती है। नव चेतना ट्रस्ट का मानना है कि हम शारीरिक विकास कितना भी कर लें, मानसिक विकास के बिना षारीरिक विकास कभी सुन्दर नहीं हो सकता है। शारीरिक विकास तभी षोभा पाता है जब स्वस्थ मस्तिष्क के अनुकूल कार्य करता है। शारीरिक और मानसिक विकास में क्या फर्क है, हम आपको बताते हैंः- शारीरिक विकास की एक सीमा है, जबकि मानसिक विकास की कोई सीमा नहीं। शारीरिक विकास की एक आयु है, जबकि मानसिक विकास की कोई उम्र नहीं। शारीरिक विकास शरीर खोलता है, मानसिक विकास दृष्टि खोलता है। शारीरिक विकास व्याधिग्रस्त हो सकता है, मानसिक विकास शरीर को व्याधिमुक्त कर सकता है। शारीरिक विकास तोड़ सकता है, मानसिक विकास जोड़ सकता है। शारीरिक विकास रूढ़िवादी परम्पराओं को ढो सकता है, मानसिक विकास परम्पराओं में परिवर्तन की ज्वाला पैदा कर सकता है। शारीरिक विकास केवल शरीर का उजाला हो सकता है, मानसिक विकास पूरी सृष्टि का उजाला हो सकता है। शारीरिक विकास पराजित हो सकता है, मानसिक विकास पराजित कर सकता है। शारीरिक विकास भू-लोक के भ्रमण तक सीमित है, मानसिक विकास तीनों लोकों का भ्रमण कर सकता है। शारीरिक विकास की वृद्धि सीमित है, मानसिक विकास की वृद्धि असीमित है। शारीरिक विकास से स्वयं भला। मानसिक विकास से जग भला।

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