Kya Aap Jante hai / क्या आप जानते हैं ?
एक दिन शंकर भगवान ने मज़ाक
में माता पार्वती को काली कह दिया।
बस, माता पार्वती नाराज़ हो गईं।
भगवान शंकर के लाख मनाने के बाद
भी नहीं मानीं। और अपने काले रंग
को गोरे रंग में बदलने के लिए
उन्होनें कठिन तपस्या की। बस, तभी
से भगवान शंकर माता पार्वती को
‘गौरी’ कहने लगे। हम सब भी तभी
से उन्हें गौरी-शंकर कहते हैं।
व्यास जी को वेद व्यास इसलिए कहा
जाता हैं क्योंकि उन्होने विस्तृत वेद का
चारा भागों में व्यास ( विभाजन ) किया
था। ये है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और
अथर्ववेद।
कहते हैं देव लोक में 100 करोड़ श्लोकों
का एक ही पुराण है। इतने भारी - भरकम
पुराण को 18 भागों और चार लाख
श्लोकों में समेट कर वेद व्यास जी ने
लोगों के लिए पढ़ने योग्य बनाया।
महाभारत का प्राचीन नाम ‘जय’ था । जिसे
बाद में बदलकर राजा भरत के नाम पर
महाभारत कर दिया गया। राजा भरत
शकुंतला एवं दुष्यन्त के पुत्र थे। इन्ही राजा
दुष्यन्त से कुरु वंश चला।
महाभारत में एक लाख श्लोक हैं। इसकी
रचना सत्यवती एवं ऋषि पाराशर के पुत्र
श्रीकृष्णद्वैपायन ने की। महाभारत को लिखने
में पूरे तीन वर्ष लगे।
अभिमन्यु की पत्नी सुभद्रा भगवान श्री कृष्ण
की सगी बहन नही थीं। वह रोहिणी की
पुत्री एवं बलराम की छोटी बहन थीं।
कंस के पिता उग्रसेन के बडे़ भाई
देवक की बिटिया थी देवकी। यानि
कंस के ताऊ की लड़की। कंस की
माता जी का नाम रूचिमती था।
महाभारत का प्राचीन नाम जय था।
महाभारत युद्ध के बाद पाण्डवों ने
लगभग 36 वर्षों तक राज किया।
बारह खूबसूरत वनों एवं उनमें स्थित
कामनाओं की पूर्ति करने वाले हजारों-
हजार वृक्षों के क्षेत्र को ही वृंदावन
कहा गया है।
भगवान श्री कृष्ण को खिलाए जाने वाले 56
भोगों में ये आईटम होती हैं- दाल, चावल,
चटनी, दही में भीगी भाजी की पकौड़ियां,
सिखरन, अचार, पालक का साग, इक्षूभक्षिका
(राब और चीनी का बना मिश्रण) गुजिया,
समोसा, बड़ा, घेवर, फेनी, पूआ, छिद्रयुक्त
शलपत्र, इमरती, जलेबी, धृतपूरी, मालपुआ,
चन्द्रकला, दधीस्थूली, कपूरवासित, खांड की
बनी मिठाई, खाजा, फल, उत्तम दधि, लडडू,
विविध सब्जियां, दूध, दूध की मलाई, खीर,
दही, गाय का घी, मक्खन, साग का रसा,
कुम्हड़ा, पापड़, शक्तिका, लस्सी, खट्टी कांजी,
शहद, श्रेष्ठफल, मिश्री, केला, संतरा, आम,
अमरूद, सेब, मोहन भोग, हलवा, नमकीन
पदार्थ, कसैले, मीठे, तीते, कड़वे, खट्टे भोज्य
पदार्थ। ये 56 प्रकार के आईटम भगवान श्री
कृष्ण के 56 भोग कहलाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण के सबसे पहले और
बड़े पुत्र का नाम प्रद्युम्न था। ये रूक्मिणी
से पैदा हुए थे।
भगवान श्री कृष्ण एवं उनके बड़े भाई
श्री बलराम जी का नामकरण गर्ग मुनि
ने किया था।
युगों का समय |
अक्षौहिणी सेना |
चतुरंगिनी सेना |
सतयुग - 1728000 वर्ष
त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
द्धापरयुग - 864000 वर्ष
कलयुग - 432000 वर्ष |
हाथी - 21870
रथ - 21870
घोड़े - 19683
सैनिक - 59049 |
हाथी - 200
रथ - 2200
घोड़े - 20000
सैनिक - 2 लाख |